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ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली

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तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल की नई मुख्‍यमंत्री के तौर पर ताजपोशी हो गई. ममता ने शुक्रवार की दोपहर दोपहर एक बजे एक मिनट पर मुख्यमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली. शपथ राज्यपाल एमके नारायणन ने दिलाई.

ममता ने बांग्ला में शपथ ग्रहण किया. इसके साथ ही ममता राज्य की सातवीं और पहली महिला मुख्यमंत्री बन गईं. तृणमूल कांग्रेस की नेता ने इससे पहले गुरुवार को ही रेलमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

अमित मित्रा, मनीष गुप्ता, सुब्रत मुखर्जी, अब्दुल करीम चौधरी, उपेंद्र नाथ विश्वास, जावेद खान ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में मंत्री के तौर पर शपथ ली. तृणमूल कांग्रेस के 35 विधायकों और कांग्रेस के कोटे से 7 विधायक ले रहे हैं मंत्री पद की शपथ. ममता बनर्जी ने शुक्रवार शाम चार बजे कोलकाता के रायटर्स बिल्डिंग में नई कैबिनेट की पहली बैठक बुलाई है.

पश्चिम बंगाल में 34 साल बाद वामपंथी सरकार को हराकर तृणमूल कांग्रेस सत्तारूढ़ हो रही है. इसके साथ कांग्रेस का भी गठबंधन है.

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ गृहमंत्री पी चिदंबरम कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए. बिमान बोस, रक्षा मंत्री एके एंटनी भी ममता को बधाई देने पहुंचे. दिलचस्प बात यह रही कि कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य भी शामिल हुए. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश यात्रा के कारण इस कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर पाए जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस समारोह में शामिल नहीं हुईं.

राजनीतिक सफर

जीवन के शुरुआती दिनों से ही राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरु कर दी थी और 1970 के दशक में ममता बनर्जी कांग्रेस की सक्रिय कार्यकर्ता बन गई. 1976 में ममता बंगाल महिला कांग्रेस की महासचिव बन गई थीं.

जयप्रकाश नारायण की कार के बोनट पर कूदकर ममता सुर्खियों में आई और उसके बाद से बंगाल की राजनीति में अपना स्थान बनाती चली गईं. 1984 के चुनाव में जादवपुर सीट से सोमनाथ चटर्जी को हराकर ममता बनर्जी ने सबसे युवा सांसद बनने का इतिहास रचा. 1989 में कांग्रेस विरोधी माहौल में ममता सांसद का चुनाव हार गई लेकिन 1991 के आमचुनावों में उन्होंने दक्षिण कलकत्ता सीट से जीत दर्ज की.

1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 के चुनावों में ममता ने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. 1991 में राव सरकार में ममता मानव संसाधन विकास, खेल ओर युवा कल्याण तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रहीं.

हालांकि अप्रैल 1993 में ममता से मंत्रीपद ले लिया गया. ममता बनर्जी अपने उग्र स्वभाव के चलते काफी विवादों में भी रहीं. 1996 में उन्होंने अलीपुर में एक रैली के दौरान अपने गले में काली शॉल से खुद को फांसी लगाने की धमकी भी दी. जुलाई 1996 में पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने के विरोध में ममता सरकार का हिस्सा रहते हुए भी लोकसभा के पटल पर ही विरोध में ज़मीन पर बैठ गई थीं. फरवरी, 1997 में रेल बजट पेश होने के दौरान ममता ने रेलमंत्री रामविलास पासवान पर अपनी शॉल फेंककर बंगाल की अनदेखी के विरोध में अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी थी. हालांकि बाद में उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया था.

11 दिसंबर 1998 को ममता ने समाजवादी पार्टी के सांसद दरोगा प्रसाद सरोज को महिला आरक्षण बिल का विरोध करने पर कॉलर पकड़कर संसद के बाहर खींच लिया था. कांग्रेस से अलग होकर ममता ने 1 जनवरी, 1998 को अपनी पार्टी आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का गठन किया और 1999 में एनडीए की गठबंधन सरकार में वो रेलमंत्री रहीं. हालांकि वो ज्यादा दिनों तक सरकार का हिस्सा नहीं रही और 2001 में सरकार से अलग हो गई. इसके बाद 2004 में चुनाव से पहले वो फिर एनडीए सरकार में आई और खदान एवं कोयला मंत्री रहीं. 2004 चुनाव में ममता की पार्टी की बुरी हार हुई लेकिन 2009 चुनाव में पार्टी ने अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.


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